श्री
गुरु रविदास जी की कथा
एक बार श्री गुरु रविदास जी महाराज चलते जा
रहे थे, तो रास्ते में नाली में उन्होंने एक बहुत ही सुन्दर सा कीड़ा देखा !
रविदास जी ने उस कीड़े को नाली से निकाल दिया ! ऐसा करते हुए कीड़े ने उनको हाथ
पे काट दिया ! काटने के तुरन्त बाद वो कीड़ा फिर नाली में गिर गया ! रविदास जी ने वापिस
उस कीड़े को निकला ! कीड़ा फिर उनको काट के गिर गया ! यह क्रम कई बार चला !
रविदास
जी ने बहुत ही स्नेह पूर्वक विनम्र भाव से कहा अगर वो कीड़ा हो के अपना काटने वाला दुष्ट स्वभाव
नहीं छोड़ रहा है,
मैं तो फिर भी एक
संत हू और एक संत हो के मैं अपना अच्छा
इंसानियत वाला स्वाभाव कैसे छोड़ दू !
मेरा स्वभाव ही अच्छे कर्म करना है ! मैं वो
किसी भी हॉल में छोड़ नहीं सकता चाहे उसके लिए मुझे कितना भी कष्ट क्यों न उठाना पड़े ! ईश्वर देख रहा है ! मैं
अच्छे ही कर्म करता जाउगा !
श्री राधे गुरु माँ जी कहती है कि हम सब को अच्छा कर्म करते रहना
चाहिए हालात जैसे भी हो मुश्किलें देख कर हमे अपने कर्म से अपने पथ से डगमगाना नहीं
चाहिए !
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Guru Ravidass story in hindi || sakhi || रविदास जी की कहानी || Radhe Maa - SRB
Radhe Maa ke Bhakt....Rmkb....Srb....Jsrm
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